वाराणसी-जनपद में वर्षों से स्थापित 11 दुग्ध सहकारी समितियां बंद होने जा रही हैं। क्षेत्रीय दुग्धशाला विकास विभाग ने इस संबंध में अंतिम नोटिफिकेशन जारी किया है। इसका कारण निजी कम्पनियों को बढ़ावा मिलने से किसानों का झुकाव सहकारी समितियों से कम होना है।
क्षेत्रीय दुग्धशाला विकास विभाग ने हाल ही में नोटिफिकेशन जारी किया है कि बड़ागांव में पांच, चोलापुर में चार, चिरईगांव और आराजीलाइन में एक-एक सहकारी समिति बंद करने की घोषणा की है। विभाग की मानें तो वर्षों पुरानी ये समितियां चार-पांच वर्षों में निष्क्रिय हैं। सहकारिता मंत्रालय का आदेश है कि निष्क्रिय समितियों को बंद कर उन्हें दूसरे को दिया जाए। इसलिए विगत माह इसके क्रय, दुग्ध कलेक्शन और बिक्री आदि का सर्वे किया गया। जिसमें ये सभी क्रियाशील नहीं मिलीं।
वहीं, कुछ दुग्ध समितियों के संचालकों का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें न तो समय पर भुगतान होता है और न ही लाभांश आदि दिया जाता है। उन्हें दुग्ध कलेक्शन में संसाधन मुहैया कराया जाता है। पशुपालकों और समितियों को लाभांश मिलने से उनका झुकाव निजी कम्पनियों को ओर है।
जिला दुग्ध विकास अधिकारी अखिलेंद्र मिश्र ने बताया कि निष्क्रिय समितियों को बंद करने का आदेश आया है। इसकी प्रक्रिया शुरू की गई है।
जिले की 11 दुग्ध सहकारी समितियां हो जाएंगी बंद
