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राजकीय चिकित्सालयों व सीएचसी पर दिल के मरीजों को बचाएगी थ्रोमबॉलिसिस – सीएमओ

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   वाराणसी। उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग और आईसीएमआर के संयुक्त तत्वावधान से पहली बार योजनाबद्ध से हार्ट अटैक से होने वाली मौतों से निपटने की तैयारी कर रहा है। इस योजना के तहत हार्ट अटैक आने या मरीज में हृदय की समस्या दिखाई देने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं मंडलीय ज़िला चिकित्सालय पर ही थ्रंबोलाइसिस कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया से मरीज को करीब 24 घंटे की मोहलत मिल जाएगी। इस दौरान मरीज नजदीकी बड़े केंद्र पर जा कर एंजियोप्लास्टी या अन्य जरूरी उपचार करा सकेंगे।
बृहस्पतिवार को इससे संबन्धित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में बैठक की गई, जिसमें समस्त सरकारी चिकित्सा इकाइयों के अधिकारी शामिल रहे। *सीएमओ डॉ संदीप चौधरी* ने कहा कि हार्ट अटैक आज भी हमारे देश में मौत का सबसे बड़ा कारण है। ज्यादातर मामलों में मौत की वजह इलाज मिलने में होने वाली देरी होती है। देश में सभी जगहों में उच्च विशेषज्ञता वाली स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध न होने से मामला और गंभीर हो जाता है। इसलिए हमने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं इससे ऊपर स्तर के सभी अस्पतालों में डॉक्टर्स को थ्रंबोलाइसिस देने का प्रशिक्षण और दवाईयां देंगे। 

सीएमओ ने बताया कि इस योजना को पायलट आधार पर पहले तमिलनाडु और गोवा में शुरू किया गया था। दोनों ही जगहों में इस योजना के लागू करने के बाद हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में 50 फीसदी तक की कमी देखी गई। मालूम हो, हर साल हमारे देश में 24 लाख से अधिक लोगों की हार्ट फेल होने से मौत हो जाती है। यह किसी भी बीमारी से होने वाली मौतों में सबसे अधिक है। इसके लिए सभी राजकीय चिकित्सालयों व सामुदायिक केंद्रों के डॉक्टर सहित स्टाफ़ नर्सों को सात दिवसीय ट्रेनिंग बीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग में सोमवार से करायी जानी है।
क्या है थ्रंबोलाइसिस ? – हृदय रोग विशेषज्ञ बीएचयू प्रोफ़ेसर धर्मेंद्र जैन ने बताया कि थ्रंबोलाइसिस उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें एक एंजाइम के जरिये रक्त में मौजूद थक्के को गला दिया जाता है। रक्त पतला होने से वह आसानी से धमनियों में संरचण कर पाता है।
सीपीआर क्या है ? – इस दौरान सीपीआर विशेषज्ञ व चिकित्सा अधिकारी डॉ शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि मरीज या घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए सीपीआर एक बहुत महवपूर्ण तरीका है। सीपीआर की फुल फॉर्म “कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन” है। इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
इस दौरान कार्डियोलॉजी विभाग से डॉक्टर पायल सिंह, डॉ अंजन श्रीवास्तव, डॉ फाल्गुनी गुप्ता, डॉ अजीत, डॉ अतुल व अन्य चिकित्साअधिकारी मौजूद रहे।

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