नैतिक पतन के लिए बॉलीवुड कुछ हद तक नहीं बल्कि बहुत ज्यादा हद तक जिम्मेदार..!!
एक्शन,गंदगी,ड्रामा, क्राइम,छेड़छाड़ डायलॉग्स,नंगापन व शर्मसार से भरपूर एनिमल फ़िल्म..
आजकल की युवा पीढ़ी के नैतिक पतन के लिए बॉलीवुड कुछ हद तक नहीं बल्कि बहुत ज्यादा हद तक जिम्मेदार है युवा वर्ग आज बहुत ज्यादा फिल्मी हो गया हैं फिल्म के हिसाब से अपनी जिंदगी को जी रहे बड़े छोटे मान सम्मान हर चीज खत्म होती जा रही है युवा एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगा हैं बहुत ज्यादा फैशन वाले हो गए हैं बहुत ज्यादा बेशर्मी युवाओं में बढ़ गई है!आज कल के बच्चे भी बहुत ज्यादा बिगड़ गए हैं टीवी और बॉलीवुड का बहुत गहरा असर हमारे घर परिवार और खानदान व युवाओं में वह हमारे समाज में और हमारे देश में हुआ है एक लाइन में अगर समझा जाए तो फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड एक तरह की साइड इफेक्ट वाली गोली है जिसने फायदा कम और नुकसान बहुत ज्यादा दे दिया है!अभी हाल ही में एक फ़िल्म रिलीज हुई हैं और इस फिल्म का नाम ‘एनिमल’ हैं और फ़िल्म ‘एनिमल’ काफी विवादों में आ गई है जिस तरह का वायलेंस इस फिल्म में दिखाया गया है वो काफी डरा देने वाला है तथा एक्शन,गंदगी,ड्रामा, क्राइम, इंटीमेसी, डायलॉग्स, कई चीजें इस फिल्म में विवादित हैं!सिनेमा समाज का आईना होता है लेकिन इसे देखकर हम बड़े हुए हैं सिनेमा देखकर और युवा काफी इन्फ्लूएंस होता है आजकल कुछ इस तरह की फिल्में आ रही हैं अगर आप फ़िल्म ‘एनिमल’की बात करें तो ‘एनिमल’ मैं फ़िल्म देखते हुए बहुत सारी बच्चियां जो कॉलेज में पढ़ती हैं या घरेलू हैं वो आधी पिक्चर में रोकर हॉल से उठकर चली जाती हैं और यह ही नही ऐसा वर्ग भी जो समाज से जुड़ा होता हैं वह भी इस फ़िल्म को बीच मे ही छिड़कर जाने पर विवश हो जाता हैं!सवाल यह हैं कि आखिर इतनी हिंसा और इतना वायलेंस और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ इस तरह की चीजें व खुल्लम खुला नंगापन पिक्चरों में दिखाना क्या ठीक लगता हैं?ये बहुत ही सोचने वाला विषय है इन पिक्चरों का इस वायलेंस का इन निगेटिव रोल को पेश करने में हमारे आजकल के युवाओं पर क्या असर होता है!वो इसे रोल मॉडल मानने लगते हैं क्यों कि वह ऐसी पिक्चर में देख रहे हैं!इसलिए समाज में भी हमें इस तरह की हिंसा देखने को मिल रही है!क्या सिनेमा जगत में भी सामाजित दायित्व जैसी कोई चीज नही होती है।