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उत्तर प्रदेश में 115 साल पुराना कानून बदलने जा रहा है

प्रदेश सरकार ने रजिस्ट्री दस्तावेजों से उर्दू-फारसी शब्दों को हटाने का फैसला लिया है।
रजिस्ट्री में उर्दू-फारसी की जगह हिंदी भाषा लेगी।
स्टांप एवं पंजीकरण विभाग 1908 में बने रजिस्ट्रेशन एक्ट के अधीन चलता है।

अभी तक इन शब्दों का होता था इस्तेमाल…👇

बैनामा (विक्रय पत्र), वल्दियत ( पिता का नाम) , वल्द (पिता),  रकबा (क्षेत्रफल), तरमीम (बदल देना), सकूनत (निवास), जोजे (पत्नी), वारिसान (उत्तराधिकारी),  रहन (गिरवी), बयशुदा (खरीदी),  बैय (जमीन बेचना), मिनजानिब (की ओर से), दुख्तर (बेटी), कौमियत (जाति), शामलात (साझी भूमि),  राहिन (गिरवी देने वाला), बाया (जमीन बेचने वाला),  वाहिब (उपहार देने वाला), मोहबइला (उपहार लेने वाला) आदि जैसे शब्द अब तक इस्तेमाल होते आ रहे हैं।

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