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SC/ST आरक्षण में उप वर्गीकरण के मुद्दे पर राजनैतिक दल क्यों साधी है, आखिर क्यो है चुप्पी ?

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अजय कुमार डिम्पल (बहुजन सशक्तिकरण संघ प्रदेश उपाध्यक्ष )

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सोनभद्र।दलित और आदिवासी समाज उपवर्गीकरण के मुद्दे पर समर्थन या विरोध नहीं बल्कि पोज़ीशन जानना चाहता है। सपा, कांग्रेस और भाजपा को वर्गीकरण के समर्थन या विरोध में अपना आधिकारिक रूख स्पष्ट करना चाहिए।

दिनांक 1 अगस्त को 2024 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST आरक्षण में उप वर्गीकरण के मामले में वर्गीकरण के पक्ष में जजमेंट सुनाया है। इस जजमेंट के आने के बाद SC/ST समुदाय की बहुत सी जातियाँ वर्गीकरण के समर्थन में और कुछ विरोध में उतर आई हैं।
SC/ST आरक्षण में उप वर्गीकरण के जजमेंट के समर्थन में किसी भी राजनैतिक दल ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।

बसपा समते वंचित बहुजन अघाड़ी, राजद और लोजपा ने खुलकर वर्गीकरण का विरोध किया है। वर्गीकरण के मुद्दे पर सबसे बुलंद स्वर बहुजन समाज पार्टी का है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर पदाधिकारी और कार्यकर्ता अत्यधिक सक्रिय हैं।

यदि SC/ST उप वर्गीकरण लागू होता है तो भविष्य में OBC आरक्षण में भी उप वर्गीकरण होना स्वभाविक है और ऐसी स्थिति में अति पिछड़े नाम से एक और ग्रुप बनेगा।
सभी प्रमुख राजनैतिक दल किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में हैं। बसपा को छोड़कर सपा, कांग्रेस और भाजपा वर्गीकरण के समर्थन या विरोध में कोई भी बयान जारी नहीं कर रहे हैं। दलित और आदिवासी समाज के दोनों गुट जो समर्थन या विरोध में हैं राजनैतिक दलों की चुप्पी से निराश और व्यथित हैं।

बसपा इस मुद्दे पर वर्गीकरण के विरोध में हैं। और खुलकर प्रतिक्रिया दे रही है । देश के इतने बड़े दलित और आदिवासी समुदाय के जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णय पर राजनैतिक दलों की चुप्पी, अन्य शोषित और वंचित समुदाय की चुप्पी, सामाजिक संगठनों की चुप्पी समझ से परे है। समर्थन या विरोध में मर्ज़ी हो जो करें कम से कम रूख तो स्पष्ट करें। दलित और आदिवासी समाज जान तो सके उनके कथित शुभचिंतकों की पोज़ीशन क्या है?

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रिपोर्ट- कुम्धज चौधरी (राजू) ब्यूरो चीफ सोनभद्र

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