सनातन धर्म में भगवान विष्णु को संपूर्ण सृष्टि के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। उनके नाम का जाप और स्तुति जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करती है। ‘विष्णु गायत्री मंत्र’ और ‘गायत्री चालीसा‘ दो ऐसे दिव्य स्तोत्र हैं, जो न केवल आध्यात्मिक लाभ देते हैं, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मशुद्धि में भी सहायक होते हैं। इस लेख में हम विष्णु गायत्री मंत्र, गायत्री चालीसा, उनकी विधि और लाभ के बारे में विस्तार से जानेंगे।
गायत्री मंत्र
“ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥”
विष्णु गायत्री मंत्र और गायत्री चालीसा दोनों ही ऐसे दिव्य साधन हैं, जो भक्त को जीवन के हर क्षेत्र में शक्ति, स्थिरता और सफलता प्रदान करते हैं। जो साधक नित्य श्रद्धा से इनका पाठ करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। यदि आप भी अपने जीवन में दिव्यता और स्थायित्व चाहते हैं, तो आज से ही इस पावन साधना की शुरुआत करें।
विधि
- प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें।
- पीले फूल, तुलसी पत्र, धूप-दीप और नैवेद्य तैयार रखें।
- पीले आसन पर बैठकर, उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके साधना करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और पंचोपचार पूजा करें।
- पहले विष्णु गायत्री मंत्र का 11, 21 या 108 बार जप करें।
- इसके बाद शांत मन से गायत्री चालीसा का पाठ करें।
- अंत में प्रार्थना करें और विष्णु जी से आशीर्वाद प्राप्त करें।
चालीसा के लाभ
- मानसिक शांति – यह मंत्र और चालीसा तनाव व चिंता को दूर करके मन को शांति प्रदान करते हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा – घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- कर्म सुधार – पिछले जन्मों के पाप और दोषों की शुद्धि होती है।
- समृद्धि और सफलता – व्यापार, करियर और धन की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी।
- भक्ति और वैराग्य की वृद्धि – भगवान विष्णु के प्रति प्रेम और समर्पण भाव उत्पन्न होता है।