चंदौली जिले के धानापुर ब्लॉक में तोरवां-रमरजाय चौराहे के पास नहर टूटने से स्थानीय ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नहर के टूटने से खेतों में पानी भर गया है, जिससे किसानों की धान की फसल डूबने की कगार पर है। ग्रामीण अपनी फसल बचाने के लिए खुद ही नहर को बांधने के प्रयास में लगे हैं, लेकिन पानी की तेज धार के कारण उनके सभी प्रयास विफल हो रहे हैं।
जब ग्रामीणों ने इस समस्या की सूचना विभाग के संबंधित जूनियर इंजीनियर (जेई) को दी, तो उनकी प्रतिक्रिया ने सभी को हैरान कर दिया। जेई ने इस मामले में कुछ भी करने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि नहर की मरम्मत करना उनकी जिम्मेदारी नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारियों की वजह से उनकी मेहनत की कमाई और फसल को भारी नुकसान होने का खतरा है।
ग्रामीणों के प्रयास
नहर के टूटने की घटना के बाद, स्थानीय किसान तुरंत फावड़े और बोरियां लेकर मौके पर पहुंचे। उन्होंने नहर को बांधने का प्रयास शुरू किया, लेकिन पानी की तेज धार ने उनके सभी प्रयासों को विफल कर दिया। खेतों में लगातार पानी भरता जा रहा है, जिससे फसल के नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है। किसानों का कहना है कि अगर समय रहते नहर की मरम्मत नहीं की गई तो उनकी पूरी फसल बर्बाद हो सकती है।
प्रशासन से मदद की गुहार
जब ग्रामीणों को विभाग के जेई से कोई मदद नहीं मिली, तो उन्होंने डीएम और एसडीएम से मामले का संज्ञान लेने की अपील की। उनका कहना है कि इस समस्या का जल्द समाधान किया जाना चाहिए, ताकि उनकी फसल को बचाया जा सके। इसके अलावा, ग्रामीणों ने अपने क्षेत्रीय विधायक सुशील सिंह से भी मदद की गुहार लगाई है।
किसानों का कहना है कि नहर का टूटना उनके जीवन-यापन के लिए एक गंभीर संकट है। ऐसे में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और नहर की मरम्मत करवानी चाहिए। साथ ही, उन्होंने मांग की है कि जेई जैसे गैर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचा जा सके।
जिम्मेदार कौन?
इस घटना ने विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब विभाग के जेई का यह कहना कि नहर की मरम्मत उनकी जिम्मेदारी नहीं है, तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान कौन करेगा? नहर टूटने जैसी घटनाओं से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है और उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है।
सरकार द्वारा किसानों की सहायता और जल प्रबंधन के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इस तरह की लापरवाही इन योजनाओं की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा करती है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा उचित कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और किसानों को ऐसे संकटों से न जूझना पड़े।
नहर टूटने की यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और किसानों की समस्याओं की अनदेखी का उदाहरण है। ग्रामीण अपनी फसल बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। प्रशासन को इस मामले में तुरंत संज्ञान लेकर नहर की मरम्मत करवानी चाहिए, ताकि किसानों को उनकी फसल बर्बाद होने से बचाया जा सके। साथ ही, इस तरह की लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।