भा. कृ. अनु. प.- भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा संचालित “फार्मर्स फर्स्ट” परियोजना के अंतर्गत मंगलवार को वाराणासी जिले के रमना गाँव, में सेम गाँव के नाम से भी जाना जाता है जिसमे एक दिवसीय प्रशिक्षण, जागरूकता सह सब्ज़ी बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार थे, जिन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए संस्थान की नवीनतम सब्ज़ी प्रौद्योगिकियों, उन्नत किस्मों तथा जैविक एवं प्राकृतिक खेती पद्धतियों की जानकारी दी । उन्होंने किसानों से सतत कृषि के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम के दौरान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक एवं परियोजना अन्वेषक डॉ नीरज सिंह परियोजना फार्मर्स फर्स्ट” के उद्देश्यों एवं अब तक की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला । उन्होंने बताया कि यह परियोजना किसानों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाकर उनकी आय में वृद्धि करने हेतु चलायी जा रही है। फ़सल सुरक्षा विषय पर संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. के.के. पाण्डेय ने किसानों को सेम, लोबिया एवं कुम्हड़ा में लगाने वाले जड़ सडन एवं बीज सडन, बैगन में लगने वाले फैतोप्ल्स्मा, कद्दुवर्गीय सब्जियों में लगाने वाली गंमी स्टेम ब्लाइट जैसी प्रमुख बिमारियों के प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी | साथ ही साथ डॉ पाण्डेय ने इस अवसर पर किसानों को बीज शोधन एवं कीट –व्याधि प्रबंधन हेतु ट्राइकोडर्मा एवं नीम आधारित दवा का छिडकाव करने की सिफारिस की ताकी फ़सल उत्पाद गुणवक्ता युक्त हो | संस्थान द्वारा विकसित उन्नत किस्मों जैसे ‘काशी हरीतिमा, काशी खुशाल (सेम), ‘काशी निधि (बोडा) एवं ‘काशी हरित (कुम्हड़ा) सब्ज़ियों के प्रमाणित बीज एवं ट्राइकोडर्मा पाउडर सहित इन सब्जियों के प्रसार पुस्तिका निदेशक डॉ राजेश कुमार द्वारा निःशुल्क वितरित किए गए। सब्ज़ी उत्पादन की उन्नत विधियों पर डॉ रामेश्वर सिंह ने व्यावहारिक जानकारी दी । गाँव के प्रधान सहित बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष किसान इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। किसानों ने प्रशिक्षण में गहरी रुचि दिखाई और भविष्य में संस्थान के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने की इच्छा व्यक्त की।
कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक डॉ राकेश कुमार दुबे सहित अजय यादव एवं प्रमोद उपस्थित रहे | कार्यक्रम धन्यवाद ज्ञापन के साथ संपन्न हुआ |