“श्री चित्रगुप्त जी की आरती” एक विशेष और श्रद्धा से भरी हुई पूजा है, जो हमारे जीवन के महत्वपूर्ण कर्मों के रक्षक और लेखपाल, श्री चित्रगुप्त जी को समर्पित है। हिंदू धर्म में श्री चित्रगुप्त जी को भगवान यमराज के सचिव और कर्मों के लेखपाल के रूप में पूजा जाता है। वे हमारे हर अच्छे-बुरे कार्यों का हिसाब रखते हैं और जीवन के मार्गदर्शक होते हैं। उनकी आरती में विशेष रूप से उनके द्वारा किए गए कर्मों की महिमा का बखान किया जाता है, जो भक्तों को जीवन की सच्चाई और न्याय का अहसास कराती है। इस आरती के माध्यम से हम भगवान चित्रगुप्त से अपने पापों से मुक्ति और अच्छे कर्मों के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।
श्री चित्रगुप्त जी की आरती
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामीजय चित्रगुप्त हरे,
भक्तजनों के इच्छित,फलको पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,सन्तनसुखदायी,
भक्तों के प्रतिपालक,त्रिभुवनयश छायी॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,पीताम्बरराजै,
मातु इरावती, दक्षिणा,वामअंग साजै॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,प्रभुअंतर्यामी,
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,प्रकटभये स्वामी॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,करमें अति सोहै,
वैजयन्ती वनमाला,त्रिभुवनमन मोहै॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,ब्रम्हाहर्षाये,
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,चरणनमें धाये॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,यादतुम्हें कीन्हा,
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,इच्छितफल दीन्हा॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
दारा, सुत, भगिनी,सबअपने स्वास्थ के कर्ता ,
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,तुमतज मैं भर्ता ॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,शरणगहूँ किसकी,
तुम बिन और न दूजा,आसकरूँ जिसकी॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,प्रेम सहित गावैं,
चौरासी से निश्चित छूटैं,इच्छित फल पावैं॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,पापपुण्य लिखते,
‘नानक’ शरण तिहारे,आसन दूजी करते॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामीजय चित्रगुप्त हरे,
भक्तजनों के इच्छित,फलको पूर्ण करे॥
“श्री चित्रगुप्त जी की आरती” न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमें अपने जीवन के कर्मों पर विचार करने की प्रेरणा भी देती है। यह आरती हमें यह सिखाती है कि हम अपने हर कार्य में निष्कलंक और सत्य के मार्ग पर चलें। श्री चित्रगुप्त जी की पूजा हमें अपने अच्छे कर्मों को बढ़ाने और बुरे कर्मों से बचने का संदेश देती है। यदि हम इस आरती को श्रद्धा और भक्ति से गाते हैं, तो भगवान श्री चित्रगुप्त हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और सद्गति की दिशा दिखाते हैं।