RS Shivmurti

प्रेमचंद का साहित्य एक सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है

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सुनों मैं प्रेमचंद कहानी पाठ के 1294 दिवस

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वाराणसी(अमर विश्वकर्मा)। प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट लमही द्वारा प्रेमचंद स्मारक स्थल लमही में प्रतिदिन आयोजित सुनों मैं प्रेमचंद कहानी पाठ के 1294 दिवस पूर्ण होने पर रविवार को प्रेमचंद कहानी सांसारिक प्रेम और देश-प्रेम का पाठन डाॅ. शमशेर जमदग्नि (संयुक्त आयुक्त, वाराणसी) भारतवादी साहित्यकार, नई दिल्ली द्वारा किया गया । सम्मान ट्रस्ट के संरक्षक प्रो श्रद्धानन्द, प्रकाश श्रीवास्तवव निदेशक राजीव गोंड ने किया। संस्था के संरक्षक श्रद्धानन्द ने कहाँ कि प्रेमचंद की प्रेमचंद का साहित्य एक सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है।

इसमें उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण दिखलाई देता है। यह कहानी सांसारिक प्रेम और देश-प्रेम (उर्दू नाम- इश्के दुनिया और हुब्बे वतन) प्रेमचंद की पहली प्रकाशित कहानी है। इसका प्रकाशन कानपूर से निकलने वाली उर्दू पत्रिका ज़माना के अप्रैल 1908 के अंक में हुआ था।

यह कहानी इटली के मशहूर राष्ट्रवादी मैजिनी और उसकी प्रेमिका मैग्डलीन के जीवन को आधार बनाकर लिखी गई है। यह देश की आजादी के लिए आमरण संघर्ष करने की भावना को अभिव्यक्त करती है।

यह व्यक्तिगत प्रेम पर राष्ट्रप्रेम को महत्ता प्रदान करने वाली कहानी है। इस अवसर पर विनोद कुमार शर्मा, डिप्टी कमिश्नर राज्य कर चंदौली, श्रीधर त्रिपाठी, असिस्टेंट कमिश्नर राज्यकर चंदौली, राहुल यादव, राजीव श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, राहुल विश्वकर्मा, प्रांजल श्रीवास्तव, आदि लोगों ने कहानी सुनी। स्वागत मनोज विश्वकर्मा विश्वकर्मा, संचालन आयुषी दूबे, धन्यवाद ज्ञापन प्रकाश श्रीवास्तव ने किया।

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