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शिव की महिमा को जानने की आवश्यकता: दिलीप शास्त्री जी की श्रीराम कथा में विशेष चर्चा

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धीना पिपरी भैसा चंदौली में राजगुरु मठ पीठाधीश्वर, काशी के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अनंतानन्द सरस्वती महाराज के नेतृत्व में पिपरी गांव में आयोजित मंगलवात के चौथे दिन महामृत्युंजय यज्ञ और श्रीराम कथा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और यज्ञ में श्रद्धा एवं आस्था से शामिल हुए।

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महामृत्युंजय यज्ञ के दौरान आयोजकों और स्थानीय श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की महिमा का गायन किया, और इस दौरान विशेष रूप से अयोध्या से आए पंडित दिलीप शास्त्री ने शिव के जीवन चरित्र पर अपनी विचारधारा प्रस्तुत की। उन्होंने शिव और माता पार्वती के विवाह प्रसंग को विस्तार से बताया, जिससे उपस्थित श्रद्धालु अत्यंत भाव-विभोर हो गए।

कथावाचक दिलीप शास्त्री ने भगवान शिव के बारे में कहा कि “भगवान शिव नाम के अनुरूप अत्यंत भोले हैं। वह अपने भक्तों की एक पुकार पर तुरंत दौड़े चले आते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि शिव की महिमा अपरंपार है और उनकी भक्ति में अद्वितीय शक्ति है। उन्होंने जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए शिव का स्मरण करने की महत्ता पर जोर दिया।

कथा में पंडित शास्त्री ने माता सती के मृत्यु के बाद शिव के क्रोध और फिर शिव व माता पार्वती के विवाह की अद्भुत कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि शिव और पार्वती का विवाह एक दिव्य अवसर था, जिसमें धरती के सभी जीव-जंतु और देवता शामिल हुए थे। इस विवाह के समय आकाश से फूलों की वर्षा हो रही थी, और सभी देवता इस महान उत्सव का हिस्सा बने।

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कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन बोर्ड के सदस्य डॉ. हरेंद्र राय, रमेश राय, संजय मौर्य, डॉ. वेदव्यास राय, हरिवंश उपाध

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