नाग गायत्री मंत्र: नाग दोष से मुक्ति और आध्यात्मिक रक्षा का दिव्य उपाय

नाग गायत्री मंत्र
खबर को शेयर करे

सनातन धर्म में नागों का विशेष महत्व है। नाग देवता को सृष्टि की संतुलित ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। विशेष रूप से जब कुंडली में ‘नाग दोष’ या ‘कालसर्प दोष’ होता है, तब नाग गायत्री मंत्र का जाप अत्यंत लाभकारी होता है। यह मंत्र व्यक्ति को मानसिक, आध्यात्मिक और सांसारिक परेशानियों से मुक्ति प्रदान करता है। इस लेख में हम Naag Gayatri Mantra के सही उच्चारण, विधि और इसके अद्भुत लाभों पर चर्चा करेंगे।

गायत्री मंत्र


ओम नवकुलाय विद्यमहे
विषदंताय धीमहि
तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ll

Naag Gayatri Mantra एक प्राचीन और शक्तिशाली वैदिक मंत्र है जो नाग देवता की कृपा पाने का माध्यम है। इसके नियमित जाप से व्यक्ति के जीवन में संतुलन, समृद्धि और सुरक्षा आती है। यदि आप अपने जीवन में शांति, उन्नति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करना चाहते हैं, तो इस मंत्र को निष्ठा और श्रद्धा से अपनाएँ।

जाप की विधि

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • अपने सामने नाग देवता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • दीपक में गाय के घी का दीप जलाएं।
  • चंदन, फूल और धूप अर्पित करें।
  • दाहिने हाथ में रुद्राक्ष या चंदन की माला लें।
  • मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
  • जाप के अंत में नाग देवता से कृपा की प्रार्थना करें।
  • यह साधना सोमवार, नाग पंचमी या शुक्ल पक्ष की पंचमी से आरंभ करना श्रेष्ठ माना जाता है।

मंत्र के लाभ

  1. नाग दोष निवारण – कुंडली में नाग या कालसर्प दोष होने पर यह मंत्र अत्यधिक लाभकारी है।
  2. स्वास्थ्य रक्षा – शरीर में अचानक आने वाले रोग या विष प्रभाव से बचाव होता है।
  3. धन-समृद्धि में वृद्धि – आर्थिक बाधाओं में यह मंत्र सहायक सिद्ध होता है।
  4. संतान प्राप्ति का योग – जिन दंपतियों को संतान सुख नहीं मिल रहा, उनके लिए यह मंत्र लाभकारी है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति – साधक के चित्त को स्थिर करता है और आत्मबल में वृद्धि करता है।
इसे भी पढ़े -  महाकुम्भ से योगी ने दी 'महासौगात', यूपी बनेगा एयरोस्पेस का महारथी