कृष्ण आरती भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अनमोल हिस्सा है। यह आरती भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करती है, जो प्रेम, करुणा और धर्म के प्रतीक हैं। कृष्ण आरती के माध्यम से भक्त भगवान को अपनी भक्ति और श्रद्धा अर्पित करते हैं, जिससे मन को शांति और आत्मा को बल मिलता है। जब भक्तजन मधुर स्वर में कृष्ण आरती गाते हैं, तो ऐसा लगता है मानो वातावरण दिव्यता से भर गया हो। यह न केवल भगवान के प्रति भक्ति का मार्ग है, बल्कि आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी है।
कृष्ण आरती
आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला।
बजावै मुरली मधुर बाला॥
श्रवण में कुण्डल झलकाला।
नंद के आनंद नंदलाला ॥
गगन सम अंग कांति काली।
राधिका चमक रही आली ॥
लतन में ठाढ़े बनमाली,
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ,
गगन सों सुमन रासि बरसै ॥
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ॥
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ॥
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कृष्ण आरती केवल एक प्रार्थना नहीं है, यह भक्त और भगवान के बीच एक गहरा संवाद है। जब हम अपने हृदय से भगवान को पुकारते हैं, तो वह हमारी हर पुकार सुनते हैं और हमें अपनी कृपा से अनुग्रहित करते हैं। कृष्ण आरती हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, हमें विश्वास और प्रेम से भरा रहना चाहिए। आरती के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में जुड़ने का अनुभव हमें आत्मिक संतोष और दिव्य अनुभूति प्रदान करता है। आइए, हम इस आरती को पूरे मन से गाएँ और भगवान की असीम कृपा का अनुभव करे।
जय श्रीकृष्ण!