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“कृषि के बजाय अबला की उम्मीदें काट दीं, पुलिस के हाथों से कट रही गीता की न्याय की फसल”

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उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के खुखुन्दू थाना क्षेत्र के कम्हरिया गांव की गीता देवी आज अपने खेत में अपनी मेहनत की फसल को कटते हुए देखकर बेबस खड़ी हैं। यह सिर्फ खेत की फसल नहीं, बल्कि उनकी न्याय की उम्मीदों की फसल भी कट चुकी है। गीता का आरोप है कि उनके पति ब्रम्हानन्द ने बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर ली और अब वह अपने बच्चों के साथ संघर्ष कर रही हैं। कोर्ट के आदेश पर उन्हें 30 कट्ठा खेत में धान की फसल लगाने की अनुमति मिली थी, लेकिन जब भी वह खेत में फसल काटने जाती हैं, उनके पति, देवर और ससुर लाठी-डंडे लेकर आकर उन्हें धमकाकर भगा देते हैं।

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गीता ने इस मामले में खुखुन्दू पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन थाने के अधिकारी का रवैया बेहद निराशाजनक था। गीता का कहना है कि थानाध्यक्ष द्विग्विजय सिंह ने उसे यह कहते हुए अपमानित किया कि “कोर्ट का आदेश हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता।” गीता ने अपनी शिकायत स्थानीय मंत्री विजयलक्ष्मी गौतम तक पहुंचाई, लेकिन उनकी बात भी अनसुनी कर दी गई। इसके बाद गीता ने जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई और डीएम ने कार्रवाई का आदेश दिया, लेकिन पुलिस अधिकारी पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।

इसके बाद गीता के खिलाफ 40,000 रुपये की रिश्वत मांगी गई और जब वह यह रकम नहीं दे पाई, तो उसके खेत में काटी गई फसल के बारे में किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। 12 नवंबर को गीता ने अपने खेत में जाकर देखा तो उसकी मेहनत की फसल को काट दिया गया था। इस घटना ने खुखुन्दू पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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अब गीता ने मुख्यमंत्री से न्याय की उम्मीद जताई है और दोषी थानाध्यक्ष और हल्का दरोगा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।इस मामले में ट्विटर के शिकायत पर पुलिस अधिकारियों ने त्वरित संज्ञान लिया और सलेमपुर सीओ को जांच का आदेश दिया। सीओ सलेमपुर इस मामले की जांच करने के उपरांत पीड़िता को कब न्याय दिलाएंगे ये चर्चा का विषय बना हुआ है।

पीड़िता गीता की यह पीड़ा इस बात को उजागर करती है कि कैसे एक महिला को अपने अधिकारों के लिए अपने ही खेत में संघर्ष करना पड़ रहा है, और पुलिस प्रशासन की नाफरमानी से उसकी उम्मीदें धुंधली हो रही हैं।

देवरिया से शीतल निर्भीक और रंजना वर्मा की ब्यूरो रिपोर्ट।

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