



सोनाली पटवा।दशाश्वमेध घाट पर देव दीपावली और डाला छठ के महापर्व को ध्यान में रखते हुए नगर निगम और घाट प्रशासन द्वारा सफाई अभियान को गति दी गई है। गंगा में हाल ही में आई बाढ़ के कारण सभी घाटों पर सिल्ट जमा हो गई थी, जिसे हटाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। नगर निगम ने घाटों की सीढ़ियों पर जमे सिल्ट को हटाने के लिए श्रमिकों की एक टीम नियुक्त की है, जो जनरेटर की मदद से सुबह और शाम साफ-सफाई का काम कर रही है।
घाटों की स्थिति और सफाई अभियान
गंगा में आई बाढ़ के बाद घाटों पर सफाई की स्थिति बिगड़ गई थी। कई स्थानों पर सिल्ट की मोटी परत जमी हुई थी, जिससे भक्तों और पर्यटकों के लिए घाटों पर जाना मुश्किल हो गया था। नगर निगम और घाट प्रशासन की ओर से विशेष ध्यान देते हुए सफाई का कार्य किया जा रहा है। सिल्ट को हटाने के लिए मशीनों का उपयोग किया जा रहा है और जनरेटर की मदद से सफाई अभियान तेज किया गया है। प्रशासन ने घाटों को साफ-सुथरा रखने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का प्रबंध किया है।
नाविक समाज की तैयारी और चिंता
नाविक समाज के लोग भी इस महापर्व के लिए अपनी नावों को सजाने-संवारने में जुट गए हैं। उन्होंने अपनी नावों की रंगाई-पुताई शुरू कर दी है, ताकि देव दीपावली और डाला छठ के अवसर पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं को बेहतर सेवाएं दे सकें। नावों की पेंटिंग, डेंटिंग और सजावट का काम जोरों पर है, ताकि नाविकों की आमदनी में बढ़ोतरी हो सके।
हालांकि, इस बार नाविक समाज के बीच चिंता की लहर है। उन्होंने नगर निगम से अपील की है कि जल्द से जल्द घाटों की सफाई का कार्य पूरा किया जाए, क्योंकि देव दीपावली नजदीक आ चुकी है और अभी तक नावों की बुकिंग की स्थिति अनिश्चित है। नाविकों का कहना है कि हर साल इस समय तक बुकिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार अब तक नावों की बुकिंग नहीं हो पाई है। यह स्थिति उनके लिए आर्थिक संकट खड़ा कर सकती है।
देव दीपावली की तैयारी और संभावित आर्थिक प्रभाव
देव दीपावली, जिसे ‘कार्तिक पूर्णिमा’ के दिन मनाया जाता है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन गंगा घाटों पर हजारों दीयों की रोशनी से पूरा क्षेत्र जगमगाता है, जो एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करता है। इस पर्व को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक बनारस आते हैं। घाटों पर दीपों की अद्भुत छटा और गंगा आरती की दिव्यता श्रद्धालुओं को मोहती है।
नाविक समाज के लिए देव दीपावली का पर्व एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर होता है। इस पर्व पर पर्यटकों द्वारा नावों की बुकिंग अधिक होती है, जिससे उनकी आमदनी में काफी बढ़ोतरी होती है। लेकिन इस बार नाविकों को आशंका है कि घाटों की सफाई और नावों की बुकिंग में हो रही देरी उनके आय के स्रोत पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है।
हालांकि, घाट प्रशासन द्वारा घाटों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी समय रहते संभाल ली गई है। सभी घाटों पर जनरेटर की व्यवस्था की गई है, जिससे सुबह-शाम नियमित रूप से सफाई की जा रही है। लेकिन नाविक समाज की चिंता बनी हुई है कि अगर समय पर नावों की बुकिंग शुरू नहीं हुई, तो उनकी इस बार की आमदनी प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष
देव दीपावली और डाला छठ के मद्देनजर प्रशासन द्वारा सफाई के कार्यों में तेजी लाने के बावजूद नाविक समाज के लोगों में आर्थिक संकट की चिंता बनी हुई है। नाविकों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही घाटों की सफाई पूरी होगी और नावों की बुकिंग में तेजी आएगी, जिससे वे इस महापर्व के दौरान अपनी रोजी-रोटी कमा सकें।