भारतवर्ष में जब-जब चिकित्सा और आरोग्यता की बात होती है, तब-तब भगवान धन्वंतरि का स्मरण स्वाभाविक हो जाता है। उन्हें आयुर्वेद के देवता और चिकित्सा विज्ञान के अधिष्ठाता माना जाता है। Dhanvantri Slokam एक अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है जो न केवल रोगों से रक्षा करता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है। इस लेख में हम आपको इस श्लोक की विधि, लाभ और इसके गूढ़ अर्थ के बारे में विस्तार से बताएंगे।
Slokam
ध्यानं
अच्युतानन्त गोविन्द विष्णो नारायणामृत
रोगान्मे नाशयाशेषानाशु धन्वन्तरे हरे॥
आरोग्यं दीर्घमायुष्यं बलं तेजो धियं श्रियं
स्वभक्तेभ्योऽनुगृह्णन्तं वन्दे धन्वन्तरिं हरिम् ॥१॥
शङ्खं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भिः,
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौळिमम्बोजनेत्रम्॥
कालाम्भोदोज्ज्वलाङ्गं कटितटविलसच्चारुपीताम्बराढ्यम्,
वन्दे धन्वन्तरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम्॥ २॥
धन्वन्तरेरिमं श्लोकं भक्त्या नित्यं पठन्ति ये,
अनारोग्यं न तेषां स्यात् सुखं जीवन्ति ते चिरम्॥३॥
मंत्रम्
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,
धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय (वज्रजलौकहस्ताय),
सर्वामयविनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय,
श्री महाविष्णवे स्वाहा।
पाठान्तर
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय,
धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय;
सर्वभयविनाशाय सर्वरोगनिवारणाय।
त्रैलोक्यपतये त्रैलोक्यनिधये,
श्रीमहाविष्णुस्वरूप श्रीधन्वन्तरीस्वरूप,
श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय स्वाहा ॥
गायत्री मंत्र
ॐ वासुदेवाय विद्महे सुधाहस्ताय धीमहि,
तन्नो धन्वन्तरिः प्रचोदयात्।
तारक मंत्र
ॐ धं धन्वन्तरये नमः।
Dhanvantri Slokam केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि जीवन के आरोग्य का मूल मंत्र है। यह श्लोक हमें सिखाता है कि भगवान में श्रद्धा और अपने स्वास्थ्य के प्रति सजगता ही सच्चा उपचार है। यदि आप भी रोगों से मुक्ति चाहते हैं या अपने परिवार की रक्षा करना चाहते हैं, तो इस मंत्र का श्रद्धा से पाठ करें। साथ ही महा मृत्युंजय मंत्र का चमत्कारी प्रभाव, हनुमान जी का रोग नाशक कवच, गायत्री मंत्र के स्वास्थ्य लाभ, और शिव तांडव स्तोत्र का रहस्य भी ज़रूर पढ़ें जो आरोग्यता और आत्मिक शक्ति प्रदान करते हैं।
विधि
- Dhanvantri Slokam का पाठ अत्यंत सरल है, परंतु श्रद्धा और नियमितता इसकी मूल आत्मा है।
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर किसी शांत स्थान पर आसन लगाएं।
- भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- तीन बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का उच्चारण कर मन को एकाग्र करें।
- फिर “Dhanvantri Slokam” का 11 या 21 बार जप करें।
- पाठ के बाद हाथ जोड़कर भगवान धन्वंतरि से रोगमुक्ति और आरोग्यता की प्रार्थना करें।
- इसे नियमित रूप से नवरात्रि, प्रदोष, या विशेषतः धनतेरस के दिन जरूर करना चाहिए।
लाभ
- रोगों से रक्षा:
इस मंत्र के नियमित जप से शरीर के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो रोगों को दूर करता है। - मानसिक शांति:
यह श्लोक केवल शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी शांति प्रदान करता है और चिंता, भय व तनाव को दूर करता है। - आयुर्वेदिक उपचार में सहायक:
यदि आप आयुर्वेदिक इलाज ले रहे हैं, तो इस मंत्र का जाप उपचार की शक्ति को और अधिक प्रभावशाली बना देता है। - चिकित्सा कर्मियों के लिए लाभकारी:
डॉक्टर्स, वैद्य, नर्स या स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोग इस श्लोक से ऊर्जा प्राप्त करते हैं और अपने कार्य में सफलता पाते हैं।