चंदौली में पुलिस की अवैध वसूली का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। गाजीपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्वप्न आनंद की अदालत ने चंदौली के बर्खास्त मुख्य आरक्षी अनिल कुमार सिंह द्वारा दाखिल 156(3) के प्रार्थना-पत्र को स्वीकार करते हुए 19 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। इनमें चंदौली क्राइम ब्रांच समेत अन्य तत्कालीन पुलिसकर्मी शामिल हैं। नंदगंज थाना पुलिस को मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
अवैध वसूली का पर्दाफाश
अनिल कुमार सिंह, जो वाराणसी के मड़ुवाडीह क्षेत्र के निवासी हैं, ने अपने प्रार्थना-पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि चंदौली के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और मुगलसराय थाने के प्रभारी निरीक्षक शिवानंद मिश्रा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नियमित रूप से अवैध वसूली करवाई। जब अनिल ने इस भ्रष्टाचार की सूची सार्वजनिक की, तब मामला उजागर हुआ। डीआईजी विजिलेंस लव कुमार द्वारा की गई जांच में आरोप सही पाए गए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की सजा
भ्रष्टाचार के इस खुलासे के बाद, चंदौली के तत्कालीन एसपी ने 28 फरवरी 2021 को अनिल कुमार सिंह को बर्खास्त कर दिया। अनिल का आरोप है कि उन्हें बदले की भावना से फंसाया गया और 8 जुलाई 2021 को उन पर झूठे आरोप लगाए गए।
इसके बाद, 5 सितंबर 2021 को स्वाट टीम और सर्विलांस प्रभारी समेत कुछ पुलिसकर्मियों ने अनिल कुमार सिंह का अपहरण किया। अनिल की बेटी खुशबू की समय पर 112 नंबर पर कॉल करने से उनकी जान बचाई जा सकी, लेकिन 7 सितंबर 2021 को उन्हें पशु क्रूरता अधिनियम के तहत चालान कर दिया गया।
कोर्ट का आदेश
अनिल कुमार सिंह ने इस पूरी घटना की जानकारी गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक को रजिस्टर्ड डाक द्वारा दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः उन्होंने न्यायालय का सहारा लिया। 21 सितंबर 2024 को अदालत ने सुनवाई के बाद चंदौली के 19 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने और जांच के आदेश दिए।