करोड़ों का मानसून टेंडर महज दिखावा, जिम्मेदार बने धृतराष्ट्र।
उर्जांचल । सोनभद्र-सिंगरौली ।
रंजीत राय की रिपोर्ट ।
मानसून के सबाब पर आने के साथ ही ओवी के पहाड़ों में दरकन देखी जाने लगी है। साथ ही एनसीएल के खदानों में पानी के तेज बहाव से बाढ़ जैसे हालात पैदा कर रहे हैं और खदानों से निकलने वाला ओबी के मलबा सहित पानी गांव वालों की घरों में घुस रहा है जिससे उनकी जान पर आफत बन आई है। मानसून टेंडर के नाम पर लगभग करोड़ों रुपए बहाए जाने के बावजूद भी कोयला खदानों में जल जमाव होना व मशीनों का डूब जाना, आम बात हो गई है।
ओवी के मिट्टी के पहाड़ों में पानी के तेज बहाव के कारण थे दरकने के निशान देखे जा सकते हैं। यह स्थिति भयावह है। यदि किसी दिन दरक कर यह पहाड़ भरभराकर गिरे तो सैकड़ो लोगों की जान आफत में आ जाएगी। रहवासी बस्तियों के किनारे खड़े ओवी के यह पहाड़, मौत के पहाड़ सरीके लगते हैं। जिम्मेदार अधिकारी और प्रबंधन आंखों पर पट्टी बांधकर धृतराष्ट्र की भूमिका में किसी बड़े घटना की इंतजार कर रहे हैं।
कोल इंडिया महारत्न कंपनी की अनुशंगी इकाई नॉर्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड सिंगरौली के नाम से कई कोयला खदान संचालित होते हैं। कोयला निकालने के लिए पहले मिट्टी की खुदाई की जाती है और इन मिट्टी को एक के ऊपर एक रखकर पहाड़नुमा आकृति में एकत्रित किया जाता है जिसे ओवी कहा जाता है।
कोयला खदान सुरक्षा नियमों की माने तो इन ओवी के मिट्टी को भी रखने के खास नियम है और इसे रहवासी बस्तियों से उचित दूरी पर बनाया जाता है।
खदान सुरक्षा नियमों की घटा से जांच हो तो इस मामले में कई सारी खामियां उजागर हो सकती हैं। साल 2012 में सोनभद्र जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी सुहाष एलवाई ने चिल्काटांड़ ग्राम पंचायत में रहवासियों के शिकायत पर ओवी पहाड़ से होने वाले खतरे की जांच करने पहुंचे थे तो उसे समय उन्होंने इनको मौत के पहाड़ की संज्ञा दी थी।
गांव वालों की आफत में जान –
एनसीएल खड़िया खदान क्षेत्र के वह भी से निकलने वाले पानी व मलबा, सुरक्षा वाल को तोड़कर नो टोला बस्ती में घुस गया जिससे गांव वालों की जान पर आफत बन आई। बस्ती व घरों में पानी व मलबा का जल जमाव होने से रहवासियों का हाल बेहाल हो गया है। ऐसी ही स्थिति दुद्धीचुआ खदान क्षेत्र के पास स्थित बस्ती में भी देखने को मिली, जहां मौके पर पहुंचकर रात्रि में स्वयं सिंगरौली नगर निगम अध्यक्ष ने राहत व बचाव का जायजा लिया था। खड़िया ग्राम प्रधान विजय गुप्ता उर्फ लाल बाबू ने एनसीएल खड़िया प्रबंधन को पत्रक लिखकर नाऊ टोला में घुसे ओवी के मलबे व पानी की शिकायत दर्ज कराते हुए उचित राहत की मांग की है।
कोयला खदानों में बाढ़ जैसे हालात –
मानसून टेंडर के जरिए मानसून से होने वाले नुकसान को खदानों में कम करने हेतु करोड़ की टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती है, परंतु इस बार के मानसून ने सारी पोल खोल दी है। कुछ दिन पूर्व ही दुद्धीचुआ कोयला खदान से पानी की तेज बहाव की डरावनी वीडियो फुटेज सामने आई थी, जिसमें पानी के तेज बहाव के कारण खदान में चलने वाली कई गाड़ियां चपेट में आ गई थी और उसमें बैठने वाले अधिकारी व कर्मचारियों ने गाड़ी से कूद कर अपनी जान बचाई थी। कोयला खदान के अंदर पानी का बहाव इतना तेज था कि कई सौ मीटर बोलोरो गाड़ी को बहाकर नाले में गिरा दिया। वहीं कई खदानों में जल जमाव के कारण करोड़ों की मशीनरी डूबने की सूचना से अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है?
करोड़ों के मानसून टेंडर पर फिर पानी, तैयारीयां नाकाफी –
मानसून आने से पूर्व ही परियोजनाओं द्वारा करोड़ों के मानसून टेंडर बारिश के दिनों में कोयला खदान में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए किए जाते हैं। परंतु कागजों पर टेंडर और धरातल पर काम में बहुत बड़ी खाई देखने को मिलती है।
करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जाते हैं और मानसून ने सारी तैयारियों की कलई खोल दी है। खदानों में जल जमाव, ओवी पहाड़ में दरकन, रहवासी बस्तियों में ओवी का मलबा पहुंचना आदि कुछ ऐसी घटनाएं है जो इशारा करती हैं कि जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार द्वारा अपने कार्य का सही कार्यान्वयन नहीं किया गया। यदि उचित तरीके से जांच हो तो इस तरह के टेंडर की पीछे बड़े सिंडिकेट का पर्दाफाश हो सकता है जो सरकारी पैसों की बंदरबांट में लगे हुए हैं।