दुर्गा स्तोत्रम्: माँ की कृपा पाने का दिव्य माध्यम

दुर्गा स्तोत्रम्
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माँ दुर्गा की उपासना भारतीय सनातन परंपरा में अत्यंत पूजनीय मानी जाती है। संकट के समय, जब जीवन में बाधाएँ, भय और असुरक्षा का अनुभव होता है, तब माँ दुर्गा का स्मरण और स्तुति करने से अपार मानसिक बल और ऊर्जा प्राप्त होती है। Durga Stotram एक ऐसा पावन स्तोत्र है, जिसकी महिमा शास्त्रों में वर्णित है। यह न केवल साधक को भय और बाधाओं से मुक्त करता है, बल्कि आत्मविश्वास, शक्ति और विजय का मार्ग भी प्रशस्त करता है। आइए जानें इस दिव्य स्तोत्र का पाठ करने की विधि और इसके अद्भुत लाभ।

Durga Stotram


जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे,
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥

जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे,
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे,
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥

जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते,
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥

जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे,
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥

एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:,
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥

Durga Stotram केवल एक पाठ नहीं, बल्कि माँ दुर्गा से जुड़ने का एक आध्यात्मिक पुल है। जो भी श्रद्धा, विश्वास और नियमितता के साथ इसका पाठ करता है, वह जीवन के हर क्षेत्र में माँ की कृपा का अनुभव करता है। यदि आप भी अपने जीवन में शक्ति, विजय और रक्षा की अनुभूति चाहते हैं, तो आज से ही Durga Stotram का पाठ आरंभ करें और माँ दुर्गा के चरणों में अपना जीवन समर्पित करें।

पाठ विधि

  • प्रतिदिन या विशेष रूप से नवरात्रि, अष्टमी या चतुर्दशी तिथि पर इसका पाठ करें।
  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • हाथ में पुष्प लेकर संकल्प लें: “माँ दुर्गा की कृपा हेतु स्तोत्र पाठ कर रहा हूँ।”
  • शुद्ध मन से “Durga Stotram” का पाठ करें।
  • पाठ के बाद माँ दुर्गा को प्रसाद अर्पित करें (जैसे लौंग, बताशे, नारियल)।
  • अंत में माँ दुर्गा की आरती करें और प्रार्थना करें।
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पाठ के लाभ

  1. भय एवं संकट से मुक्ति – यह स्तोत्र माँ की कृपा से जीवन के सभी भय और संकट को समाप्त करता है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा – नज़र दोष, तंत्र-मंत्र और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है।
  3. शक्ति एवं आत्मबल में वृद्धि – साधक में आत्मबल, साहस और मानसिक दृढ़ता आती है।
  4. रोग और पीड़ा से राहत – स्वास्थ्य संबंधी बाधाओं में भी यह स्तोत्र आश्चर्यजनक लाभ देता है।
  5. कार्य में सफलता – नौकरी, व्यापार, परीक्षा या किसी भी कार्य में सफलता हेतु सहायक।