माँ दुर्गा की आरती का गायन करते समय भक्तों का मन श्रद्धा और भक्ति से भर जाता है। माँ दुर्गा, जो शक्ति, साहस और करुणा की प्रतिमूर्ति हैं, उनकी आरती गाने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है। “Durga Aarti lyrics” को सही भाव और उच्चारण के साथ पढ़ने या गाने से माँ की कृपा सहज ही प्राप्त होती है। इस लेख में हम माँ दुर्गा की आरती के महत्व, लाभ और सही विधि को विस्तार से समझेंगे।
Durga Saptashati Paath
ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा,
ॐ ह्रीं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा,
ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा,
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः॥ ॐ नमः परमात्मने, श्रीपुराणपुरुषोत्तमस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे। श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे। आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे। अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु। चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति। पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं ममात्मनः सपुत्रस्त्रीबान्धवस्य श्रीनवदुर्गानुग्रहतो। ग्रहकृतराजकृतसर्व-विधपीडानिवृत्तिपूर्वकं नैरुज्यदीर्घायुः पुष्टिधनधान्यसमृद्ध्यर्थं श्री नवदुर्गाप्रसादेन। सर्वापन्निवृत्तिसर्वाभीष्टफलावाप्तिधर्मार्थ- काममोक्षचतुर्विधपुरुषार्थसिद्धिद्वारा श्रीमहाकाली-महालक्ष्मीमहासरस्वतीदेवताप्रीत्यर्थं शापोद्धारपुरस्परं कवचार्गलाकीलकपाठ- वेदतन्त्रोक्त रात्रिसूक्त पाठ देव्यथर्वशीर्ष। पाठन्यास विधि सहित नवार्णजप सप्तशतीन्यास-धन्यानसहितचरित्रसम्बन्धिविनियोगन्यासध्यानपूर्वकं च ‘मार्कण्डेय। उवाच॥ सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः॥” इत्याद्यारभ्य “सावर्णिर्भविता मनुः” इत्यन्तं दुर्गासप्तशतीपाठं तदन्ते। न्यासविधिसहितनवार्णमन्त्रजपं वेदतन्त्रोक्तदेवीसूक्तपाठं रहस्यत्रयपठनं शापोद्धारादिकं च किरष्ये/करिष्यामि॥
माँ दुर्गा की आरती एक अद्भुत साधना है जो भक्तों को माँ की कृपा से जोड़ती है। “Durga Aarti lyrics” को सही भाव और नियमों के साथ गाने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। अगर आप माँ दुर्गा की भक्ति में लीन रहना चाहते हैं, तो दुर्गा चालीसा और अष्टभुजा दुर्गा स्तोत्र को भी पढ़ें और माँ की कृपा प्राप्त करें।
माँ दुर्गा की आरती गाने के लाभ
- नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है – माँ की आरती से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- मानसिक शांति मिलती है – इसे गाने से भक्त का चित्त शांत होता है और ध्यान की गहरी अवस्था प्राप्त होती है।
- कर्मों का शुद्धिकरण – आरती गाने और सुनने से पिछले जन्मों और वर्तमान जीवन के पापों का नाश होता है।
- संकटों से रक्षा – माँ दुर्गा की कृपा से सभी प्रकार के संकट और बाधाएँ दूर होती हैं।
- घर में सुख-शांति का वास – नियमित आरती से परिवार में प्रेम और सौहार्द बना रहता है।
माँ दुर्गा की आरती गाने की विधि
- शुद्धता का ध्यान रखें – स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और माँ दुर्गा के समक्ष बैठें।
- माँ की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएँ – घी या तेल का दीपक जलाकर धूप-दीप की व्यवस्था करें।
- पुष्प और प्रसाद चढ़ाएँ – माँ को लाल पुष्प और उनका प्रिय प्रसाद (जैसे मिठाई, नारियल) अर्पित करें।
- घंटी बजाकर आरती आरंभ करें – “जय अम्बे गौरी” की आरती श्रद्धा और भाव से गाएँ।
- भोग लगाकर आरती समाप्त करें – आरती समाप्त होने के बाद सभी भक्तों को प्रसाद वितरित करें।