दुर्गा सप्तशती, जिसे चंडी पाठ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली शास्त्र है। इसमें माँ दुर्गा की महिमा का वर्णन किया गया है और इसके प्रत्येक मंत्र का शक्तिशाली प्रभाव है। इस लेख में हम दुर्गा सप्तशती मंत्र की सही विधि, इसके लाभ और इस दिव्य पाठ के महत्व को समझेंगे। यदि आप जीवन में सफलता, सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति चाहते हैं, तो दुर्गा सप्तशती मंत्र का जाप एक शक्तिशाली उपाय है।
मंत्र
कल्याणकारी मंत्र
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
संकट मुक्ति के लिए
रक्तबीजवधे देवी चण्डमुण्ड विनाशनी,
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
रोगों से मुक्ति के लिए
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि,
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
विवाह के लिए
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्,
तारिणी दुर्ग संसार सागरस्य कुलोभ्दवाम्।
नौकरी में पदोन्निति के लिए
वन्दिताप्राधियुगे देवी देव सौभाग्यदायिनी,
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।
सौभाग्य प्राप्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्,
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।
गृह शांति के लिए
नवार्ण मंत्र’-‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’
भय-नाश के लिये
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते,
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते।
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम्,
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोऽस्तु ते।
ज्वालाकरालमत्युग्रमशेषासुरसूदनम्,
त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते।
रक्षा पाने के लिये
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके,
घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च।
प्रसन्नता की प्राप्ति के लिये
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि,
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव।
स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिये
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी,
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः।
दुर्गा सप्तशती मंत्र एक शक्तिशाली अस्त्र है जो न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए, बल्कि हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए भी प्रभावी है। इस मंत्र का नियमित जाप जीवन को शांति, सुख, और समृद्धि से भर देता है। यदि आप और भी माँ दुर्गा के भजनों और मंत्रों के बारे में जानना चाहते हैं, तो “शेरावाली माता के भजन” और “जय दुर्गा के मंत्र” पढ़ें और अपने जीवन को और अधिक शक्तिशाली बनाएं।
विधि
- साफ स्थान पर बैठना: सबसे पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठें। आप व्रत या पूजा के समय अपने घर के मंदिर में बैठ सकते हैं।
- स्नान और शुद्धि: पूजा से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। इससे शरीर और मन की शुद्धि होती है।
- माँ दुर्गा की पूजा: एक दीपक जलाकर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें। पुष्प, चन्दन, और शहद से पूजा करें।
- मंत्र जाप: दुर्गा सप्तशती के 700 मंत्रों का विधिपूर्वक जाप करें। आप इसे एक दिन में या 7 दिनों में समाप्त कर सकते हैं। इसे 108 बार जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
- अर्चना : पूजा के दौरान माँ दुर्गा को फूल, फल, और मिठाई अर्पित करें।
- प्रसाद वितरण: अंत में, पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और ध्यान रखें कि जाप करने के समय मन में सकारात्मक विचार हो।
लाभ
- रोगों से मुक्ति: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। यह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और आपको स्वस्थ बनाता है।
- शत्रुओं का नाश: इस मंत्र का जाप शत्रुओं से बचाव करने में मदद करता है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और साहस प्रदान करता है, जिससे वह अपने शत्रुओं को परास्त कर सकता है।
- सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य: दुर्गा सप्तशती का पाठ घर में सुख-शांति और समृद्धि लेकर आता है। यह आपको धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति में मदद करता है।
- मानसिक शांति: इस मंत्र के जाप से मन की शांति मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है। यह मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
- दुष्ट आत्माओं से रक्षा: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से दुष्ट शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है। यह वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाता है।