Durga Saptashati: महाशक्ति की स्तुति का दिव्य ग्रंथ

Durga Saptashati
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“Durga Saptashati” सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें माँ दुर्गा की महिमा, उनकी शक्तियों और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इसे “देवी महात्म्य” और “चंडी पाठ” के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्रंथ 700 श्लोकों का संग्रह है, जो मार्कंडेय पुराण के अंतर्गत आता है। नवरात्रि में विशेष रूप से इसका पाठ किया जाता है, जिससे माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।

Durga Saptashati


ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
ॐ ह्रीं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा
॥ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा॥

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः॥ ॐ नमः परमात्मने, श्रीपुराणपुरुषोत्तमस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे, श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे, आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम्‌ उत्तमे, अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरान्वितायाम्‌ अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु, चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति, पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं ममात्मनः सपुत्रस्त्रीबान्धवस्य श्रीनवदुर्गानुग्रहतो, ग्रहकृतराजकृतसर्व-विधपीडानिवृत्तिपूर्वकं नैरुज्यदीर्घायुः पुष्टिधनधान्यसमृद्ध्‌यर्थं श्री नवदुर्गाप्रसादेन, सर्वापन्निवृत्तिसर्वाभीष्टफलावाप्तिधर्मार्थ- काममोक्षचतुर्विधपुरुषार्थसिद्धिद्वारा श्रीमहाकाली-महालक्ष्मीमहासरस्वतीदेवताप्रीत्यर्थं शापोद्धारपुरस्परं कवचार्गलाकीलकपाठ- वेदतन्त्रोक्त रात्रिसूक्त पाठ देव्यथर्वशीर्ष, पाठन्यास विधि सहित नवार्णजप सप्तशतीन्यास-धन्यानसहितचरित्रसम्बन्धिविनियोगन्यासध्यानपूर्वकं च ‘मार्कण्डेय, उवाच॥ सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः॥” इत्याद्यारभ्य “सावर्णिर्भविता मनुः” इत्यन्तं दुर्गासप्तशतीपाठं तदन्ते, न्यासविधिसहितनवार्णमन्त्रजपं वेदतन्त्रोक्तदेवीसूक्तपाठं रहस्यत्रयपठनं शापोद्धारादिकं च किरष्ये/करिष्यामि॥

Durga Saptashati न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा का महासागर भी है। इसका पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास, साहस और सकारात्मकता बढ़ती है। माँ दुर्गा की कृपा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और वे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करते हैं। यदि आप देवी दुर्गा की भक्ति में लीन होना चाहते हैं, तो Durga Saptashati का नियमित पाठ करें और माँ की अपार कृपा प्राप्त करें।

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Durga Saptashati पाठ विधि

Durga Saptashati का पाठ करने से पहले कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

शुद्धता एवं संकल्प: पाठ प्रारंभ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए संकल्प लें।

माला एवं आसन: पाठ के दौरान कुश या ऊन का आसन प्रयोग करें और रुद्राक्ष या चंदन की माला से जप करें।

सप्तशती के तीन चरित्र: ग्रंथ में तीन भाग होते हैं—प्रथम चरित्र (माँ महाकाली), मध्यम चरित्र (माँ महालक्ष्मी), और उत्तर चरित्र (माँ महासरस्वती)। पाठ इन तीनों भागों के अनुसार क्रमबद्ध रूप से करें।

नवरात्रि में विशेष महत्व: यदि नवरात्रि में पाठ किया जाए, तो यह अधिक फलदायी होता है। सप्तशती का संपूर्ण पाठ एक दिन में, तीन दिनों में या नौ दिनों में भी किया जा सकता है।

हवन एवं आरती: पाठ पूर्ण करने के बाद हवन एवं माँ दुर्गा की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

Durga Saptashati के लाभ

Durga Saptashati का पाठ करने से अनेक आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं।

संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और माँ दुर्गा की कृपा बनी रहती है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार: नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।

सुख-समृद्धि की प्राप्ति: आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।

शत्रु नाश एवं रक्षा: शत्रु भय दूर होता है और माँ दुर्गा का दिव्य कवच व्यक्ति की रक्षा करता है।

स्वास्थ्य लाभ: मानसिक शांति और शारीरिक आरोग्य की प्राप्ति होती है।

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आध्यात्मिक उन्नति: आत्मबल, श्रद्धा और विश्वास बढ़ता है, जिससे व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति करता है।