

मां दुर्गा को शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। इनकी उपासना से जीवन में शक्ति, साहस, सुरक्षा और समृद्धि का संचार होता है। ‘दुर्गा गायत्री मंत्र’ एक अत्यंत प्रभावशाली वैदिक मंत्र है, जो साधक को आंतरिक और बाह्य दोनों रूपों से मजबूत करता है। इस लेख में हम “Durga Gayatri Mantra” से संबंधित विधि, लाभ और इसकी शक्ति के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

Durga Gayatri Mantra
ओम् कात्यान्ये च विद्मिहे कन्याकुमार्ये धीमहि,
तन्नो: देवी प्रचोदयात।।
ओम् गिरिजायये विद्मिहे शिवप्रियाये धीमहि,
तन्नो: दुर्गा प्रचोदयात।।
“Durga Gayatri Mantra” केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि मां दुर्गा का आह्वान है जो साधक के जीवन को शांति, शक्ति और सुरक्षा से भर देता है। यदि आप जीवन में आत्मबल, भक्ति और शक्ति की अनुभूति चाहते हैं, तो इस मंत्र का विधिपूर्वक जाप अवश्य करें। मां की कृपा से आपके जीवन में आने वाले हर संकट का समाधान संभव है।
पाठ की विधि
- प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
- ताजे फूल और लाल चंदन से मां का पूजन करें।
- शांत चित्त होकर आसन पर बैठ जाएं।
- रुद्राक्ष की माला से मंत्र का 108 बार जाप करें।
- जाप के बाद मां से अपनी मनोकामना कहें।
- कम से कम 21 दिनों तक यह क्रम नित्य रूप से करें।
दुर्गा गायत्री मंत्र के लाभ
- आंतरिक शक्ति का विकास – यह मंत्र साधक को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा – मां दुर्गा की कृपा से सभी बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
- कार्य में सफलता – यह मंत्र कार्यों में सफलता दिलाता है और निर्णय क्षमता बढ़ाता है।
- संतान प्राप्ति में सहयोगी – निःसंतान दंपत्तियों के लिए भी यह मंत्र अत्यंत फलदायक होता है।
- भय और तनाव से मुक्ति – नियमित जाप से भय, चिंता और मानसिक उलझनों से राहत मिलती है।