जीण माता राजस्थान रीजस्थान के जैन नारीयों की अत्यंत पूज्या हैं जिन्हें मां स्वयं की यात्रा मानी जाती हैं। एक और जहां जीण माता की आरती की जात है, जो न केवल जीवन में श्रद्धा और भक्ति को देवी चारा देती है। इस लेख में आप जानेंगे माता की आरती की लिरिक्स, उनकी आरती की विधि और उसके जीवनी लाभों की जानकारी करेंगे।
माता की आरती
ओम जय श्री जीण मइया, बोलो जय श्री जीण मइया,
सच्चे मन से सुमिर, सब दुःख दूर भया
ओम जय श्री जीण मइया…
ऊंचे पर्वत मंदिर , शोभा अति भारी,
देखत रूप मनोहर , असुरन भयकारी
ओम जय श्री जीण मइया…
महासिंगार सुहावन , ऊपर छत्र फिरे,
सिंह की सवारी सोहे , कर में खड़ग धरे
ओम जय श्री जीण मइया…
बाजत नौबत द्वारे , अरु मृदंग डैरु,
चौसठ जोगन नाचत , नृत्य करे भैरू
ओम जय श्री जीण मइया…
बड़े बड़े बलशाली , तेरा ध्यान धरे,
ऋषि मुनि नर देवा , चरणो आन पड़े
ओम जय श्री जीण मइया…
जीण माता की आरती , जो कोई जन गावे,
कहत रूड़मल सेवक , सुख सम्पति पावे
ओम जय श्री जीण मइया , बोलो जय श्री जीण मइया।
सच्चे मन से सुमिरे , सब दुःख दूर भया
ओम जय श्री जीण मइया…
माता की आरती न केवल जीवन की शुरुक्षा, चार टीका और संपन्न जीवन के लिए एक पावन भक्तिमायी प्राचना कारकान है। यदि आप भी जीण माता की अनुग्रह कृपा चाहते हैं, तो इन अर्चनों को पढ़ें: जीण माता की चौकी की एक और आरती, जीण माता की झाकी, जीण माता की नवरात्रि की आरती और अन्य भजनों की जानकारी करें।
आरती की विधि
- प्रतिदिन या विशेष रूप से शुक्रवार व नवरात्रि के दिनों में करें।
- पूजा स्थान को स्वच्छ करें और माँ जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- घी का दीपक जलाएँ।
- ताजे फूल अर्पित करें और लाल चुनरी चढ़ाएँ।
- माँ को सिंदूर व चूड़ी अर्पण करें।
- नैवेद्य (मिठाई या गुड़) चढ़ाएँ।
- धूप जलाकर माँ की आरती करें।
- आरती के समय घंटी बजाएं और मन में माँ का ध्यान करें।
आरती के लाभ
- मनोकामना पूर्ति – माँ जी की आरती से मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण होती हैं।
- रोग व कष्ट से मुक्ति – नियमित आरती करने से रोग, भय और दरिद्रता दूर होती है।
- परिवार में सुख-शांति – घर में मां की कृपा से प्रेम और शांति बनी रहती है।
- व्यापार व करियर में सफलता – माँ की आराधना से कार्यों में सिद्धि और तरक्की मिलती है।
- नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा – आरती से घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक बनता है।