वाराणसी के ऐतिहासिक लोलार्क कुंड में लोलार्क षष्ठी के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु संतान प्राप्ति की कामना से स्नान करने पहुंचे। लगभग 30 घंटों के इंतजार के बाद रविवार की मध्यरात्रि से ही स्नान आरंभ हो गया। पूर्वांचल, बिहार, छत्तीसगढ़, नेपाल सहित दूर-दराज के क्षेत्रों से आए दंपती कुंड से पांच किलोमीटर की परिधि में लगाई गई बैरिकेडिंग में कतारबद्ध हो गए थे।
स्नान के लिए कतार में लगे श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से प्रसाद तैयार किया। लोलार्क कुंड, जो 50 फीट गहरा और 15 फीट चौड़ा है, में स्नान से निसंतान दंपतियों की संतान प्राप्ति की मान्यता है। इसके बाद, वे एक फल या सब्जी का त्याग कर भगवान लोलार्केश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं।
काशी में लोलार्क कुंड को सभी तीर्थों का “शीर्ष” माना गया है। यहां स्नान करने से श्रद्धालुओं को न केवल संतान सुख प्राप्त होता है, बल्कि समस्त पापों से मुक्ति और पितृ ऋण से भी मुक्ति मिलती है।