चंद्रघंटा माता दुर्गा जी के तीसरे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं, जो अपने भक्तों को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। माता का यह रूप साहस, शक्ति और करुणा का प्रतीक है। उनकी आरती गाकर भक्त न केवल उनकी कृपा प्राप्त करते हैं बल्कि अपने मन को भी आध्यात्मिक ऊर्जा से भर लेते हैं। चंद्रघंटा माता की आरती उनकी दिव्यता का गुणगान है, जो जीवन में सुख, शांति और सकारात्मकता लाती है।
चंद्रघंटा माता की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम,पूर्ण कीजो मेरे सभी काम !!
चंद्र समान तुम शीतल दाती,चंद्र तेज किरणों में समाती !!
क्रोध को शांत करने वाली,मीठे बोल सिखाने वाली !!
मन की मालक मन भाती हो,चंद्र घंटा तुम वरदाती हो !!
सुंदर भाव को लाने वाली,हर संकट मे बचाने वाली !!
हर बुधवार जो तुझे ध्याये,श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं !!
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं,सन्मुख घी की ज्योत जलाएं !!
शीश झुका कहे मन की बाता,पूर्ण आस करो जगदाता !!
कांची पुर स्थान तुम्हारा,करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी,भक्त की रक्षा करो भवानी।
चंद्रघंटा माता की आरती करने से न केवल मन और आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि यह हमें हमारी समस्याओं से लड़ने की शक्ति भी देती है। माता की कृपा से जीवन की हर कठिनाई सरल बन जाती है। आइए, हम सभी श्रद्धा और प्रेम से माता चंद्रघंटा की आरती गाएं और उनका आशीर्वाद पाएं। जय माता दी!