आयुष्मान भारत योजना से जुड़े चिकित्सालयों में सभी लाभार्थियों को मिले नियमानुसार इलाज की सुविधा-सीडीओ

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“इलाज के दौरान खर्च हुये व्यय को तत्काल नियमानुसार वापस किया जाए, नहीं तो मान्यता होगी रद्द”

आधार कार्ड से आयुष्मान लाभार्थी होने की जांच की जाए

प्रचार-प्रसार के लिए सूचना, शिक्षा व संचार सामग्री, हेल्प डेस्क, कियोस्क पर दिया जाए ज़ोर

   वाराणसी। आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजन के अंतर्गत सूचीबद्ध चिकित्सालयों में आयुष्मान लाभार्थियों की शिकायतों को लेकर मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल द्वारा शनिवार को राइफल क्लब में बैठक के दौरान निर्देशित किया कि सभी लाभार्थियों को नियमानुसार निःशुल्क इलाज़ की सुविधा प्रदान की जाए। लाभार्थियों द्वारा इलाज़ के दौरान खर्च हुए व्यय को तत्काल  वापस किया जाए अन्यथा की स्थिति में चिकित्सालय के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही योजना में चिकित्सालय की आबद्धता निरस्त करने के लिए स्टेट एजेंसी फॉर हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज़) के उच्च अधिकारियों को सूचित करते हुए जिला स्तरीय स्थानीय पंजीकरण भी निरस्त करने की कार्यवाही की जा सकती है। वर्ष से 26 लाभार्थियों द्वारा चिकित्सालय में आयुष्मान कार्ड होने पर भी धनराशि लिए जाने की शिकायत की गई थी,इसमें से 20 लाभार्थियों की धनराशि वापस कराई गई है। 3 केसों की प्रक्रिया चल रही है तथा 3 केसों को साचीज भेजा गया है। हेरिटेज, गैलेक्सी एवं हेल्थ सिटीज अस्पताल के शिकायतों को राज्य स्तर पर नियंत्रक संस्था (साचीज) को अवगत कराते हुए कार्यवाही का निर्देश दिया।

सीडीओ ने कहा कि सूचीबद्ध चिकित्सालय में आने वाले सभी रोगियों से इस आशय का सहमति पत्र अनिवार्य रूप से लिया जाए कि “रोगी आयुष्मान कार्ड धारक है अथवा नहीं तथा उनके आधार कार्ड से इसे पोर्टल पर जांच कर प्रमाणित किया जाए”। समस्त आबद्ध चिकित्सालय द्वारा आयुष्मान भारत योजना संबंधित प्रचार-प्रसार के लिए सूचना, शिक्षा व संचार (आईईसी) सामग्री, हेल्प डेस्क, कियोस्क को अद्यतन (अपडेट) करते हुये कार्यालय में सूचित किया जाए। बनाई गई हेल्प डेस्क पर आयुष्मान मित्र की उपस्थिति के साथ-साथ उनके व चिकित्सालय के दूरभाष नंबर को भी प्रदर्शित किया जाए। यू०पी० क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) नियम 2016 की धारा 28 (डिस्प्ले ऑफ इन्फॉर्मेशन) का अनुपालन सुनिश्चित करते हुये चिकित्सालय परिसर में चिकित्सा इकाई का योजनांतर्गत स्पेशियलिटी रजिस्ट्रेशन नंबर, संचालक का नाम, बेड की संख्या, औषधि की पद्धति एवं चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं तथा चिकित्सा कर्मचारीवृद (चिकित्सक, नर्स आदि) का विवरण डिस्प्ले बोर्ड पर प्रदर्शित करें, जिसका बैकग्राउंड पीला (फॉर्मेट), हिन्दी अक्षर का रंग काला हो। डिस्प्ले बोर्ड चिकित्सालय के मुख्य द्वार के पास प्रदर्शित कराया जाए। चिकित्सालय के मुख्य द्वार पर शिकायत पेटिका भी लगाई जाए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संदीप चौधरी ने कहा कि योजना मेंअनुबंधित चिकित्सालयों द्वारा छ: माह से पूर्व निरस्त किये गये दावों (क्लेम) को रद्द (रिवोक) किये जाने का अनुरोध किया जाता है, साचीज से प्राप्त निर्देश के क्रम में ऐसे निरस्त दावों पर नियमानुसार विचार नहीं किया जाएगा।
जिला शिकायत निवारण समिति के बैठक में प्रस्तुत किए गए दावा प्रपत्रों पर लिए गए निर्णय पर असंतुष्टि के उपरान्त उच्चस्तर पर राज्य शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) के समक्ष अग्रिम अपील चिकित्सालय के द्वारा प्रस्तुत की जा सकती है। इसके लिए अधिकतम सीमा अवधि 30 दिन है। समिति के समक्ष अक्सर निम्न कमियाँ पायी जाती हैं, जिनका निवारण सरलता से करते हुए योजना का सम्पूर्ण लाभ लिया जा सकता है यथा-
• मरीज को आईसीयू एचडीयू से ही सीधा डिस्चार्ज करना।
• हिस्टोपैथोलॉजी एक्जामिन (एचपीई)रिपोर्ट संलग्न न करना।
• भर्ती व डिस्चार्ज के समय आधार बायो-औथ न करना।
• समयांतर्गत क्वेरीज़ अपडेट नहीं करना।
• एक साथ दो पैकेज सिलेक्ट करना।
• ओ०पी०डी० के आधार पर उपचार किए जा सकने वाले केस को भी आई०पी०डी० में दिखाना।
• मरीज का पिछला रिकॉर्ड चेक किए बिना मिलते-जुलते पैकेज में दोबारा अल्प अवधि में ही प्री-औथराइजेशन के लिए आवेदन करना।
इस बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस एस कन्नौजिया , डॉ पीयूष राय, डीजीएम सागर कुमार, नावेन्द्र सिंह एवं चिकित्सालयों के प्रतिनिधि प्रबंधक उपस्थित रहे।

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