भारत की प्रमुख विमानन सुरक्षा नियामक संस्था, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA), ने अकासा एयर के दो वरिष्ठ अधिकारियों को पायलटों के प्रशिक्षण में कथित खामियों के लिए छह महीने के लिए निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई एयरलाइन में सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के आरोप में की गई है। डीजीसीए ने पाया कि एयरलाइन के पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किए जा रहे सिमुलेटर अव्यक्त थे और उनकी गुणवत्ता मानक से नीचे थी, जिससे विमानन सुरक्षा से समझौता हुआ।
डीजीसीए की कार्रवाई का कारण
27 दिसंबर 2024 को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अकासा एयर के परिचालन निदेशक और प्रशिक्षण निदेशक को छह महीने के लिए निलंबित करने का आदेश जारी किया। डीजीसीए के अनुसार, यह कार्रवाई पायलट प्रशिक्षण के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी करने और खराब सिमुलेटर का उपयोग करने के कारण की गई।
डीजीसीए ने 7 अक्टूबर 2024 को अकासा एयर के मुंबई स्थित कार्यालय में किए गए नियामक ऑडिट के दौरान पाया कि आरएनपी (रेनॉउट नेविगेशन प्रोड्यूस) प्रशिक्षण ऐसे सिमुलेटर पर आयोजित किया जा रहा था, जो इस प्रकार के प्रशिक्षण के लिए योग्य नहीं थे। सिमुलेटर का सही तरीके से काम न करना एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह पायलटों के प्रशिक्षण में खामी पैदा कर सकता है, जिससे भविष्य में सुरक्षा के मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं। डीजीसीए ने इसे नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं (सीएआर) के सेक्शन 7, सीरीज डी, पार्ट VI के पैरा 7 का उल्लंघन माना।
नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं (सीएआर) का उल्लंघन
सीएआर, यानी CIVIL AVIATION REQUIREMENTS, भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा निर्धारित किए गए वे नियम और निर्देश होते हैं, जो विमानन सुरक्षा, परिचालन, और पायलट प्रशिक्षण से संबंधित होते हैं। इन नियमों का पालन करना एयरलाइनों, पायलटों और अन्य विमानन कर्मचारियों के लिए अनिवार्य होता है, ताकि नागरिक विमानन क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अकासा एयर के खिलाफ की गई कार्रवाई
डीजीसीए ने पाया कि अकासा एयर के द्वारा सिमुलेटर का इस्तेमाल ऐसे प्रशिक्षण में किया जा रहा था, जो विमानन सुरक्षा से संबंधित मानकों के अनुरूप नहीं था। यह सीधे तौर पर सीएआर के उल्लंघन के रूप में आया, क्योंकि यह नियमों के तहत सुरक्षित और मानक सिमुलेटर का उपयोग करना अनिवार्य है।
इसके अलावा, अकासा एयर के प्रशिक्षण निदेशक और परिचालन निदेशक को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे एयरलाइन के संचालन को सुरक्षित बनाए रखें और सभी कर्मचारियों को सही तरीके से प्रशिक्षित करें। लेकिन, दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने इस जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभाया, जिसके कारण डीजीसीए ने उन्हें निलंबित करने का आदेश दिया।
अकासा एयर का बयान
अकासा एयर ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें डीजीसीए से 27 दिसंबर 2024 का आदेश प्राप्त हुआ है। एयरलाइन ने यह भी कहा कि वे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के साथ मिलकर सभी नियामक आवश्यकताओं का पालन करना जारी रखेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।
एयरलाइन ने अपने बयान में यह भी कहा, “हम सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास करते हैं और सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी निर्धारित मानकों का पालन किया जाए और इस मुद्दे पर डीजीसीए के साथ मिलकर काम करेंगे।”
यह एयरलाइन की तरफ से सुरक्षा के प्रति गंभीरता को व्यक्त करता है, लेकिन इस मामले ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा मानकों का पालन करने में थोड़ी सी भी चूक गंभीर परिणाम पैदा कर सकती है।
पायलट प्रशिक्षण में खामियों के कारण
एक विमानन सिमुलेटर का काम होता है पायलटों को बिना किसी वास्तविक खतरे के उड़ान और आपातकालीन स्थितियों में प्रशिक्षित करना। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पायलट विमान उड़ाते वक्त किसी भी संकट से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हो, सिमुलेटर का सही तरीके से काम करना बहुत जरूरी है।
अकासा एयर के मामले में, जो सिमुलेटर पायलटों के प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल हो रहे थे, वे गुणवत्ता के लिहाज से उपयुक्त नहीं पाए गए। ऐसे सिमुलेटर पर प्रशिक्षण देना पायलटों के लिए खतरनाक हो सकता था, क्योंकि इससे वे वास्तविक जीवन में आने वाली समस्याओं से निपटने में सक्षम नहीं हो सकते थे।
नियामक ऑडिट की भूमिका
डीजीसीए द्वारा किए गए नियामक ऑडिट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि एयरलाइन और संबंधित अधिकारियों द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है। इस ऑडिट के दौरान पाए गए मुद्दे सीधे तौर पर विमानन सुरक्षा से जुड़े होते हैं, और इनकी अनदेखी करना या सुधार न करना गंभीर परिणाम ला सकता है। अकासा एयर के मामले में, नियामक ऑडिट ने यह स्पष्ट किया कि सिमुलेटर के इस्तेमाल में खामी थी, और इसके बाद यह कार्रवाई की गई।
विमानन सुरक्षा का महत्व
विमानन सुरक्षा को कभी भी समझौते का विषय नहीं बनना चाहिए। पायलटों को सटीक और प्रभावी प्रशिक्षण देना आवश्यक है ताकि वे उड़ान के दौरान किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हों। अकासा एयर के मामले में, सिमुलेटर के गलत इस्तेमाल ने इस सुरक्षा प्रक्रिया को खतरे में डाल दिया था, जिससे विमानन सुरक्षा से समझौता हुआ।